"""पिताजी सब्जी बेचते थे,,,,,,
अक्सर वह बड़े-बड़े लालाओ के यहां से उनका पुराना सामान लाया करते थे,,,
मैं उस वक्त छोटा था,,
#उन सामानो में मैं बहुत सारी चीजें ढूंढा करता था उसमें मुझे कॉपी किताब और कभी-कभी 5 का या २ का नोट भी मिल जाता था
""एक बार उसमें मुझे एक छोटी सी साइकिल मिली जिसके दोनों टायरों में हवा नहीं थी,,
#मैंने टायरों में हवा भरी तो साइकिल एकदम ठीक थी खुशी का ठिकाना ना रहा है सुबह उठते ही मैंने साइकिल चेक की और दौड़ाना शुरू कर दिया,,
#उस साइकिल से मेरी बहुत यादें जुड़ी??उस साइकिल से मैं जंगल लकड़ी लेने जाया करता था पिताजी के साथ मंडी पुदीना या सब्जी बेचने जाया करता था,,,,
फिर 24 इंच वाली #साइकिल मिली मुझे याद है जब मैं कैंची चलाना सीख रहा था तो लगभग तीन-चार बार मेरे घुटने में चोट लगी,,,,
जब पहली बार मैंने कैंची चलाना सीखा तो खुशी का ठिकाना ना रहा है,,,,,,
चार दोस्त इकट्ठा होकर के #साइकिल से रेस लगाया करते थे,,, देर शाम जब लौट के आते तो घर में डांट खाते थे फिर मां के हाथ की चूल्हे की बनाई हुई रोटी,,,
वो #साइकिल वो दोस्त वो कैची लंबे रास्ते जो बातें करते-करते यूं ही कट जाए करते थे,,,,
ना तो वो दिन रहे ना वह बचपन ना वो दोस्त बस सारी दुनिया इस 5 इंच के मोबाइल मैं सिमट कर रह गई है।
#स्कूटी का एक्सीलेटर खींचने में वह आनंद नहीं आता जो साइकिल के मोटे मोटे पैडल मारने में आता था,,,,
#काश वो बचपन एक बार फिर लौट के आता ।।
एक बार फिर से मैं बच्चा क्यों नहीं बन जाता।
#शुभ रात्रि मित्रों,,
waaaahhhhhh
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